हरियाणा के केसरा राम को मिलेगा 25,000 डॉलर का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

हिसार(एजेंसी) पंजाबी साहित्य से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय ‘ढाहां’ पुरस्कार (The Dhahan Prize) के लिए इस बार हरियाणा के हिसार निवासी केसरा राम (Kesra Ram) के कथा संग्रह ‘जनानी पौध’ (Zanani Paud) का चयन किया गया है। इसके लिए उन्हें 25000 हजार कनाडाई डॉलर की पुरस्कार राशि भी दी जाएगी।

कथा संग्रह के लेखक केसरा राम ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके पांचवें कहानी संग्रह को इस सम्मान के योग्य पाया गया। छोटे-छोटे प्रभावों से यथार्थवादी शैली की कथाओं का सृजन करते समय वह अपने समकालीन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सच को पेश करने की कोशिश करते हैं।

भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) में एसडीओ के पद से स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने के बाद केसरा राम (54) ने खुद को पढ़ने और लिखने के लिए समर्पित किया हुआ है। उन्हें यह पुरस्कार सात नवंबर को कनाडा के वैंकूवर में एक समारोह में दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘ढाहा’ पुरस्कार हर वर्ष पंजाबी साहित्य को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए गुरमुखी या शाहमुखी में प्रकाशित होने वाली कथा की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक को प्रदान किया जाता है। इसके अलावा दो फाइनलिस्ट एक गुरमुखी में और दूसरा शाहमुखी में प्रकाशित कथा पुस्तकों को भी दस-दस हजार कनाडाई डॉलर प्रत्येक के पुरस्कार दिए जाते हैं। इनके लिए इस बार पाकिस्तान के लाहौर निवासी जुबैर अहमद के कथा संग्रह ‘पाणी दी कंध’ और कनाडा निवासी हरकिरत कौर चहल के उपन्यास’आदिम ग्रहण’ को फाइनलिस्ट घोषित किया गया है।

पुरस्कार की घोषणा करते हुए बृज ढाहां ने बताया कि ‘जनानी पौध’ में केसरा राम हरियाणा की जटिल और तेजी से बदल रही आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक हकीकतों से रू-ब-रू लोगों के विश्वास और व्यवहारों का पदार्फाश और आलोचनात्मक विश्लेषण करने के लिए गहरे व्यंग्य का प्रयोग करते हैं। उनकी कहानियां और पात्र विविधता लिए हुए और दिलचस्प हैं। ये पुस्तकें पंजाबी साहित्य, भाषा और संस्कृति के लिए एक उत्कृष्ट योगदान हैं।

पुरस्कार का उद्देश्य सरहदों के पार पंजाबी साहित्य के सृजन, दुनिया भर में पंजाबी समुदायों को जोड़ना और वैश्विक स्तर पर पंजाबी साहित्य को बढ़ावा देना और विजेताओं के लिए व्यापक बहुभाषी दर्शकों तक पहुंचने के लिए मंच मुहैया कराना है। ‘ढाहा’ पुरस्कार ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर में स्थापित किया गया था जहां पंजाबी लोगों, भाषा और संस्कृति का एक समृद्ध इतिहास रहा है। पंजाबी अब कनाडा में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और राष्ट्र के बहुसांस्कृतिक ताने बाने में एक मजबूत धागे की तरह है।

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