शाजापुर – विश्व एंटीबायोटिक अवेयरनेस सप्ताह के अंतर्गत जिला चिकित्सालय शाजापुर में मीडिया अवेयरनेस के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. शुभम गुप्ता, मेडिकल विशेषज्ञ डॉ. आलोक सक्सेना, डॉ. सुनील सोनी, डॉ. संजय खण्डेलवाल, डॉ. चेतन शर्मा सहित इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस अवसर पर मीडिया प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया कि एन्टीबॉयोटिक प्रतिरोध जलवायु परिवर्तन की तरह ही गंभीर समस्या के रूप में तेजी से उभर रहा है। एन्टीबायोटिक दवाएं जब रोगाणुओं पर बेअसर हो जाती है, उस स्थिति में रोगाणुओं को खत्म करना मुश्किल हो जाता है। इसका मुख्य कारण एन्टीबॉयोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग, एक साथ कई एन्टीबायोटिक दवाओं का सेवन, एन्टीबॉयोटिक दवाओं का निर्धारित मात्रा में कम डोज या कम दिन तक सेवन अनावश्यक एन्टीबॉयोटिक दवाओं का उपयोग। इसके अतिरिक्त पशुओं व कृषि के क्षेत्र में भी एन्टीबॉयोटिक दवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण एन्टीबायोटिक दवाएं बेअसर होती जा रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए पूरे विश्व में में व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओं द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पूरे विश्व में एन्टीमाईक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 07 लाख मौते प्रतिवर्ष होती है, यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाऐ गए तो यह आंकड़ा वर्ष 2050 तक 01 करोड़ प्रति वर्ष पहुंच सकता है। भविष्य में परिलक्षित होने वाले गंभीर परिणामों को देखते हुए म.प्र. स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत दो वर्षों से सतत् प्रयास किये जा रहे है, जिसके परिणाम स्वरूप विभाग द्वारा वर्ष 2018 में एन्टीबॉयोटिक पॉलिसी का निर्माण किया गया। इस पॉलिसी को स्वास्थ्य विभाग एवं एम्स भोपाल के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया हैं। इस क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों का विस्तार करते हुए अन्य विभागों जैसे वेटनरी फूड एवं ड्रग पशुपालन व डेयरी विभाग, कृषि विभाग को भी सम्मिलित करते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एन्टीमाईक्रोबियल रेजिस्टेन्स की रोकथाम हेतु राज्य स्तरीय एक्शन प्लान (MP SAPCAR) का निर्माण किया गया है। जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में एन्टीबॉयोटिक दवाओं के अनियंत्रित उपयोग की रोकथाम, एन्टीबॉयोटिक दवाओं के उपयोग संबंधी विभाग वार दिशा-निर्देश व विभिन्न स्टेट होल्डस एवं जन समुदाय में जागरूकता लाने हेतु निति तय करना है। चिकित्सालय एवं दवा विक्रेताओं को भी इस अभियान में सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य विभाग ने एम्स भोपाल व आई.सी.एम.आर. के सहयोग से एन्टीबायोटिक दवाओं के उपयोग व दवाओं के प्रति रेजीस्टेन्स में कमी लाने के उद्देश्य से हर स्वास्थ्य संस्थाओं हेतु जिलों एवं ब्लॉक के अधिकारीयों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण प्रदाय किया गया है। प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर अपनी स्वास्थ्य संस्थाओं में राज्य एन्टीबॉयोटिक पॉलिसी एवं स्टैण्डर्ड ट्रीटमेन्ट गाईडलाइन का पालन करते हुए एन्टीबॉयोटिक दवाओं को प्रिस्क्राईब करेंगे। पशुपालन विभाग द्वारा भी इस एक्शन प्लान के अनुसार प्रत्येक जिलों में नोडल ऑफिसर की नियुक्ति करते हुए तथा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रशिक्षण उपरांत पशुओं में एन्टीबॉयोटिक दवाओं द्वारा ईलाज पर नियंत्रण करने, पशुओं/पोल्ट्री के आहार में एन्टीबॉयोटिक के इस्तेमाल को निषेध करना एवं पशुओं की बीमारी में एन्टीबायोटिक की संवेदनशीलता जॉचने हेतु प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण जैसे बिन्दुओं को शामिल किया गया है। कृषि विभाग द्वारा एन्टीबॉयोटिक एन्टीफंगल का उपयोग निषेध व जैविक खेती के विस्तार संबंधित बिन्दुओं को शामिल किया गया है। पर्यावरण विभाग द्वारा भी इस एक्शन प्लान में अस्पतालों के बायोमेडिकल वेस्ट के उचित प्रबंधन पर निगरानी संबंधित बिन्दु व फार्मा इन्डस्ट्री के द्वारा जल व जमीन के प्रदूशण हेतु निगरानी संबंधित बिन्दुओं को शामिल किया गया है। उपरोक्त विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान किये गये प्रमुख बिन्दुओं के इस एक्शन प्लान में समायोजन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक कार्य समूह का गठन किया गया है, जो कि समय-समय पर समीक्षा एवं मॉनिटरिंग द्वारा MP SAPCAR के पालन को सुनिश्चित करेगा। इस दल में उपरोक्त सभी विभागों के प्रतिनिधि व नोडल ऑफिसर सम्मिलित किये गये हैं।

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