सातवें दौर की बैठक में भी नहीं बनी बात, किसानों ने फाड़ा सरकार का संशोधन; 8 जनवरी को फिर बातचीत

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सातवें दौर की बातचीत भी सोमवार को बेनतीजा साबित हुई। सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जा सकता है। हालांकि, किसान कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर कायम हैं। अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। बैठक खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने सरकार का दिया संशोधन फाड़ दिया। आज की बातचीत में किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने विभिन्न किसान संगठनों के 41 नेताओं के साथ बातचीत की। दोपहर में शुरू हुई बैठक के खत्म होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ”हमारी मांगों पर बातचीत हुई। कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं। कोई तनातनी नहीं है। हमने साफ कर दिया है कानून वापसी के बिना कुछ भी मंजूर नहीं है। 8 जनवरी को फिर से बात होगी। हमने सरकार का संशोधन फाड़ दिया।”
‘काफी दबाव में सरकार’
सातवें दौर की बातचीत के बाद किसान नेता ने दावा किया कि सरकार काफी दबाव में है। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने बताया, ”सरकार दबाव में है। हम सभी ने कहा कि हमारी कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग है। हम किसी अन्य विषय पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं। जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक आंदोलन वापस नहीं होगा।”

बैठक में नहीं हुई एमएसपी समेत अन्य मुद्दों पर बात
दोनों पक्षों ने एक घंटे की बातचीत के बाद भोजनावकाश लिया । सरकार इन कानूनों को निरस्त नहीं करने के रुख पर कायम है और समझा जाता है कि उसने इस विषय को विचार के लिए समिति को सौंपने का सुझाव दिया है। दोनों पक्षों के बीच एक घंटे की बातचीत में अनाज की खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को कानून मान्यता देने के किसानों की महत्वपूर्ण मांग पर चर्चा नहीं हुई है। किसान संगठन के प्रतिनिधि अपने लिए खुद भोजन लेकर आए थे जो लंगर के रूप में था। हालांकि, 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर के भोजन में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे।

दिल्ली की सीमाओं पर जारी है प्रदर्शन
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर भारी बारिश और जलजमाव एवं जबर्दस्त ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं। गौरतलब है कि ये कानून सितबर 2020 में लागू हुए और सरकार ने इसे महत्वपूर्ण कृषि सुधार के रूप में पेश किया और किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला बताया। बैठक के दौरान सरकार ने तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाये जबकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने पर जोर देते रहे ताकि नए कानून के बारे में उन आशंकाओं को दूर किया जा सके कि इससे एमएसपी और मंडी प्रणाली कमजोर होगा और वे बड़े कारपोरेट घरानों की दया पर होंगे।

Live Share Market

जवाब जरूर दे 

पश्चिम बंगाल मे किस दल की सरकार बनेगी ?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Back to top button
.
Website Design By Bootalpha.com +91 82529 92275
.
Close