क्या ओमीक्रॉन के खिलाफ कारगर है मौजूदा कोरोना वैक्सीन? भारत सरकार ने दिया ये जवाब

हिन्दी समाचार। नई दिल्ली (एजेंसी) क्या ओमीक्रॉन के खिलाफ मौजूदा कोरोना वैक्सीन कारगर है? क्या कोविशील्ड या कोवैक्सीन ओमीक्रॉन के संक्रमण से निपटन में सक्षम हैं? भारत सरकार के इन सवालों के जवाब दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा कोविड -19 टीके ओमीक्रॉन के खिलाफ कारगर नहीं हैं। उन्होंने कहा, “इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि सरकार के टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल किए जा रहे मौजूदा कोविड-19 टीके कोरोनवायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट पर काम नहीं करते हैं।”
.. तो कम कर सकता असर!
हालांकि उन्होंने कहा कि कोरोना के स्पाइक जीन में हुए म्यूटेशन की वजह से वैक्सीन की प्रभावशीलता में थोड़ी कमी आ सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यसभा में दिए एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि ओमीक्रोन के संबंध में उपलब्ध आंकड़े सीमित हैं और टीकों के प्रभाव को लेकर कोई समीक्षा भी नहीं की गई है। उनसे पूछा गया था कि देश में लोगों को दिए जा रहे टीके क्या कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने में कारगर हैं ?
ओमीक्रॉन को लेकर भारत ने क्या कदम उठाए?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा ‘‘टीकों के जरिये सुरक्षा का कारण एंटीबॉडी और कोशिकाओं की प्रतिरोधक क्षमता भी होती है और समझा जाता है कि इनका बेहतर तरीके से संरक्षण होता है। इसलिए अब भी गंभीर बीमारी के खिलाफ सुरक्षा के लिए टीके को उपयोगी माना जाता है तथा उपलब्ध टीकों के जरिये टीकाकरण महत्वपूर्ण है।’
विभिन्न देशों में ओमीक्रोन के मामलों में वृद्धि की खबर फैलने के बाद सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में मांडविया ने बताया कि यात्रा संबंधी वर्तमान दिशा-निर्देशों की, खतरे को देखते हुए समीक्षा करने के बाद 28 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के आगमन के बारे में नियम जारी किए गए और इनमें दो दिन बाद संशोधन भी किया गया।

भारत में क्या हैं कोविड दिशा-निर्देश?
दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड महामारी और ओमीक्रोन के मामलों के आधार पर देशों को फिर से ‘‘जोखिम वाले देशों’’ की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया। समय समय पर यह सूची अद्यतन की जाती है। ‘‘जोखिम’’वाली श्रेणी में शामिल दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों को आगमन के साथ ही आरटी-पीसीआर के जरिये कोविड जांच करानी होती है और सात दिन के लिए घर पर अनिवार्यरूप से पृथक-वास में रहना होता है।
उन्होंने बताया कि भारत आगमन के आठ दिन बाद यात्री को पुन: आरटी-पीसीआर जांच करानी होती है। इसके अलावा ‘‘गैर जोखिम’’ वाली श्रेणी के देशों से आने वाले यात्रियों में से कोई दो फीसदी यात्रियों की कोविड जांच की जाती है।

मांडविया ने बताया कि संक्रमित पाए गए लोगों के नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जाते हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को भी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर नजर रखने सहित विभिन्न निर्देश दिए गए हैं ताकि ओमीक्रोन स्वरूप से संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

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